प्रदेश में एच3एन2 इंफ्लुएंजा से बचाव के लिए तैयारियां तेज कर दी गई हैं। सभी जिलों में रैपिड रिस्पांस टीमों (आरआरटी) का गठन किया जा रहा है। आरआरटी में एक-एक जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ, फिजिशियन, एपीडेमियोलाजिस्ट, पैथोलाजिस्ट, लैब टेक्नीशियन व माइक्राबायोलाजिस्ट शामिल किया गया है।
जिलों में मिलने वाले रोगियों की निगरानी इसी आरआरटी के माध्यम से की जाएगी। वहीं एच3एन2 इंफ्लुएंजा से बचाव के लिए मरीजों के उपचार में लगे डाक्टरों, पैरामेडिकल कर्मियों व लैब में तैनात स्टाफ के अलावा गर्भवती महिलाओं, गंभीर रोगियों, बुजुर्गों व छह महीने से लेकर आठ वर्ष तक की उम्र के बच्चों को यह वैक्सीन लगाई जाएगी।
डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डा. विक्रम सिंह के मुताबिक एच3एन2 इंफ्लुएंजा से बचाव के लिए सीजनल इंफ्लुएंजा की ही वैक्सीन लगाई जाएगी। यह वैक्सीन वायरस में हुए बदलावों अनुसार ही अपडेट होती रहती है। ऐसे में एच3एन2 इंफ्लुएंजा में भी यह कारगर साबित होगी। राज्य नोडल अधिकारी डा. अनुज त्रिपाठी ने बताया कि वैक्सीन की मांग की जा रही है।
जिलों में कितने डाक्टर व पैरामेडिकल कर्मी जैसे हेल्थ केयर वर्कर की सूची तैयार कराई जा रही है। सबसे पहले वैक्सीन इन्हें ही लगाई जाएगी। वहीं सभी जिला अस्पतालों में 10-10 बेड के आइसोलेशन वार्ड भी तैयार किए जा रहे हैं। रोगियों को एच3एन2 इंफ्लुएंजा से बचाने के लिए डाक्टरों के परामर्श पर जरूरत के अनुसार ओसेल्टामिविर दवा दी जाएगी।