कानपुर, 17 मई । प्रदेश सरकार के सख्त रूख के बाद भी खनन माफिया अधिकारियों से साठगाठ कर गंगा में अवैध खनन करा रहें हैं। जिसमें खनन विभाग के अधिकारियों को मोटी रकम खैरात में मिलती है। अवैध खनन को लेकर जब जिलाधिकारी से फुटेज दिखाकर बात की गई तो कहा मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है और खनन अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। इसके साथ ही खनन माफियाओं के खिलाफ जल्द ही कार्रवाई कर जेल भेजा जाएगा।
कानपुर नगर में अवैध खनन का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। खनन माफिया सारे नियम और कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ा कर गंगा नदी में गंगा बैराज से लेकर रानीघाट तक अवैध खनन कर रहे हैं। ये लोग कानपुर जिला खनिज विभाग के अधिकारियों से साठ-गाठ कर सरकार को लाखों का चूना लगा रहे है। यही नहीं यह लोग प्रतिबंधित भारी मशीनों का प्रयोग करके सरेआम गैरकानूनी काम को अंजाम दे रहें हैं। सबसे खास बात यह है कि खनन माफियाओं का खेल उस समय शुरू होता है जब लोग गहरी नींद में होते हैं। इसके बाद भोर पहर गंगा में न तो पोकलैंड मशीन दिखेगी और न ही कोई ट्रक। पोकलैंड मशीन ज्यादा दूर नहीं लिया जा सकता जिसके चलते गंगा बैराज के पास एक बाउंड्री के पीछे खड़ी कर देते हैं। पोकलैंड मशीन में लगी गंगा की बालू साफ बयां कर रही है कि यहां पर बालू का खनन हो रहा है।
बताते चलें कि गंगा नदी में कोहना थानाक्षेत्र स्थित गंगा बैराज के आस-पास उरई निवासी राम अवतार राजपूत और कानपुर के सचिन तांगड़ी खुलेआम गंगा में अवैध बालू खनन करा रहें हैं। हालांकि इनका पहले यहां पर पट्टा था लेकिन अब पट्टे की अवधि खत्म हो गई है। जिसके चलते यह लोग विभाग से साठगाठ कर रात में खनन करा रहें हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने जेसीबी और पोकलैंड मशीनों को बालू खनन के लिए प्रतिबंधित कर रखा है। यहां तक खनन माफिया अवैध खनन को लेकर गंगा की धार तक मोड़ दी है।
इस पूरे मामले को लेकर जब गुरूवार को जिलाधिकारी सुरेन्द्र सिंह से फुटेज दिखाकर बातचीत की गई तो जिलाधिकारी ने तत्काल मामले का संज्ञान लिया और खनन अधिकारी को बुलाकर सख्त चेतावनी दी। जिलाधिकरी ने बताया कि अवैध खनन पर माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और जांच रिपोर्ट आने के बाद ऐसे लोगों को जल्द ही जेल भेजा जाएगा।
बताते चलें कि सुशासन और भ्रष्टाचार मुक्त खनन के लिए सुदृढ़ एवं पारदर्शी ‘उत्तर प्रदेश खनन नीति 2017’ को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 30 मई को मंजूरी दी गई थी। उसके पश्चात शासनदेश भी जारी कर दिया गया लेकिन इस नीति में अवैध खनन को रोकने के लिए बनाए गए प्रावधानों का सख्ती से अनुपालन नहीं कराया जा रहा है।